Monday 6 May 2019

आइये, बढिए! एक कदम बढ़ाइए! शिक्षा-सुधार के लिए भी......

शिक्षा में बढ़ रही दुर्व्यवस्था पर यह समय चुप रहने का बिलकुल नहीं है| नम्बरों की दौड़ में बच्चों को पंगु बनाने का यह जो दौर है दीमक की तरह योग्यताओं को समाप्त कर रहा है| हम आप खुश हो रहे हैं कि हमारे बच्चे योग्य हैं, विद्वान हो रहे हैं, टॉपर हैं| सच यह है कि अन्दर-ही-अन्दर दिमाग से वे इतने कमजोर होते जा रहे हैं कि 15 मिनट भी हमारे साथ बैठ कर सम्वाद करने की स्थिति में नहीं हैं|
सम्वाद करें कहाँ से? शब्दों का अभाव वैकल्पिक परीक्षा-व्यवस्था की वजह से हुआ है| यहाँ पढ़ना और टिक करना है| लिखने की जो व्यवस्था होती थी कभी अब वह इतिहास की बात होने लगी है| 2 पृष्ठ भी कायदे से लिखना होता है तो आसमान के तारे नजर आने लगते हैं| कल्पना शक्ति क्षीण होती जा रही है| कहने का सलीका तो है नहीं सुनने की क्षमता भी दूषित हो रही है|
आज 500 में से 499 तक अंक ला रहे हैं बच्चे| मुझे यह नहीं समझ आ रहा है कि इन प्रश्न-पत्रों का निर्माण कौन करता है आखिर? हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृति जैसे साहित्यिक विषयों में यदि 100 नम्बर आ रहे हैं तो परीक्षा की उपयोगिता ही क्या रह गयी है आखिर? होना तो यह चाहिए कि जिस स्कूल के जिस प्रश्नपत्र में इतने नम्बर आएं उन्हें ब्लैक-लिस्ट में डाल देना चाहिए| बोर्ड परीक्षाओं के प्रश्नपत्र बनाने वाले को तलब किया जाना चाहिए|

वैकल्पिक परीक्षा-प्रणाली को जितनी जल्दी हो सके, समाप्त करने के लिए कदम बढाया जाना चाहिए| लिखित परीक्षा पर जोर दिया जाए| आतंरिक मूल्यांकन में नम्बर-प्रतिशत को कम किया जाए| जो फेल हो रहा है उसे फेल करने का जोहमत उठाया जाय| यदि ऐसा किया जाता है तब तो मानकर चला जाए कि बच्चे कुछ हद तक बुद्धिमान हो रहे हैं यदि नहीं हो रहा है तो यह शुभ-संकेत नहीं है भविष्य के लिए किसी भी रूप में|
वर्तमान समय में सभी विषयों से कहीं अधिक जरूरी यह मुद्दा है| इस पर आवाज उठाई जानी चाहिए| विद्यार्थी से लेकर शिक्षक, राजनीतिज्ञ से लेकर समाज वैज्ञानिक तक को इस गंभीर विषय पर अपना मत रखना होगा| सक्रिय होना होगा उन्हें| शिक्षा-तन्त्र मजबूत रहेगा तो लोकतंत्र को कोई खतरा नहीं होगा| यदि यही कमजोर रहा तो फिर कोई तन्त्र काम भी नहीं आएगा|
एक आन्दोलन इस क्षेत्र में भी करना होगा| मैं उस दिन के इंतज़ार में हूँ जब इस क्षेत्र में जागरूकता के लिए साहित्यकार अपनी समर्थन-लिस्ट जारी करेंगे| हर जिला, हर शहर, हर प्रदेश के बुद्धिजीवी इस आन्दोलन में भाग लेंगे| पुरस्कार वापसी गैंग से लेकर पुरस्कार प्राप्त करने वाली गैंग तक यदि ऐसे मुद्दे पर सक्रिय होता है तो उसकी निरपेक्षता का महत्त्व राजनीतिक चौखट से कहीं अधिक यहाँ दिखाई देगा|
आइये, बढिए! एक कदम बढ़ाइए! आप कदम बढ़ाएंगे तो परिवेश के हालत सुधरेंगें| हालात बदलेंगे| समय संस्कारित होगा और समाज की उन्नति होगी| सही शिक्षा सही दिशा की तरफ हमें बढ़ने के लिए प्रेरित करती है| यदि दिशा स्पष्ट होगी तो हम सभी स्पष्ट होंगे|


फोटो-जागरण की वेबसाईट से 

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