मानव दुश्मन क्यो ये मन बेचते हो
काँटों के चाहत में सुमन बेचते हो
बड़ी है ये दुनिया बस दुनिया को देखो
थोड़े को लाख क्यों जनम बेचते हो
तुम्हे गर्व है तुम बड़े ही बनोगे
बड़प्पन की चाहत में खड़े ही जलोगे
रहोगे पियासे तुम समुन्दर में भी
क्षणिक सुख के कारण जो तन बेचते हो
दुनिया किसी की कभी ना रही है
रहा है जो दुनिया में उसी की बनी है
सही है यही बात सुना जो है तुमने
गला घोट जीवन की कफ़न बेचते हो
है कण कण , परिश्रम से , प्रफुल्लित धरा ये
मेहनत से जिनके चमकता गगन है
द्वार मौजूद उनके सभी ऐसो आराम है
किनके लिए तुम वतन बेचते हो।
काँटों के चाहत में सुमन बेचते हो
बड़ी है ये दुनिया बस दुनिया को देखो
थोड़े को लाख क्यों जनम बेचते हो
तुम्हे गर्व है तुम बड़े ही बनोगे
बड़प्पन की चाहत में खड़े ही जलोगे
रहोगे पियासे तुम समुन्दर में भी
क्षणिक सुख के कारण जो तन बेचते हो
दुनिया किसी की कभी ना रही है
रहा है जो दुनिया में उसी की बनी है
सही है यही बात सुना जो है तुमने
गला घोट जीवन की कफ़न बेचते हो
है कण कण , परिश्रम से , प्रफुल्लित धरा ये
मेहनत से जिनके चमकता गगन है
द्वार मौजूद उनके सभी ऐसो आराम है
किनके लिए तुम वतन बेचते हो।