मित्र दिवस यह मित्रवत जन मन का का व्यवहार
अनुपम मानव रूप यह मानव मय संसार .
मित्र सुनहरी धूप है मित्र है प्यारी छाँव
जहां जरूरत जो परै रख दो मित्र का नाम।।
मित्र ये ऐसी सम्पदा जिसमे सब संसार
मानो तो वह व्यक्ति है मानव तो परिवार।।
मानव में यह ईश है ईशत्व में भी राम
सुबह इसी से होता है इसी से होता शाम।।
सत्य ह्रदय मन मीत है मीत प्रेम उपहार
जीवन में कम ही मिलता सत्य मित्र का प्यार।।
प्रेम अनूठा रूप है इश्वर का वरदान
रूप है ईश्वर मित्र का मित्र ही है भगवान।।
अनुपम मानव रूप यह मानव मय संसार .
मित्र सुनहरी धूप है मित्र है प्यारी छाँव
जहां जरूरत जो परै रख दो मित्र का नाम।।
मित्र ये ऐसी सम्पदा जिसमे सब संसार
मानो तो वह व्यक्ति है मानव तो परिवार।।
मानव में यह ईश है ईशत्व में भी राम
सुबह इसी से होता है इसी से होता शाम।।
सत्य ह्रदय मन मीत है मीत प्रेम उपहार
जीवन में कम ही मिलता सत्य मित्र का प्यार।।
प्रेम अनूठा रूप है इश्वर का वरदान
रूप है ईश्वर मित्र का मित्र ही है भगवान।।
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