Tuesday 5 August 2014

मित्र दिवस

मित्र दिवस यह  मित्रवत जन  मन का का व्यवहार 
अनुपम  मानव  रूप  यह  मानव  मय  संसार  . 

मित्र सुनहरी धूप है मित्र है प्यारी छाँव 
जहां जरूरत जो परै रख दो मित्र का नाम।।

मित्र ये ऐसी सम्पदा जिसमे सब संसार 
मानो तो वह व्यक्ति है मानव तो परिवार।।

मानव में यह ईश है ईशत्व में भी राम 
सुबह इसी से होता है इसी से होता शाम।।

सत्य ह्रदय मन मीत है मीत प्रेम उपहार 
जीवन में कम ही मिलता सत्य मित्र का प्यार।।

प्रेम अनूठा रूप है इश्वर का वरदान 
रूप है ईश्वर मित्र का मित्र ही है भगवान।।

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