अब हम
नित दिन ही पुस्तकालय में
धूल झाड़ेंगे
खाक छानेगे
तपेंगे दिन रात
कुछ पाने के लिए
ज्ञात या अज्ञात
ऊंघेगे , टहल टहल कर
बैठ बैठ कर कुछ देर
रुक रुककर कुछ देर
कुछ समय चल चलकर
पुस्तकालय मे
हाथ पैर मारेगे
खोजेंगे कुछ बात
कुछ चीजे जरूरी
नई नई दिशाए
निहारेंगे
किताबो , पत्र पत्रिकाओ से
क्या पता
किसी दिन
किसी मोड़ से
किसी रास्ते पर
किसी छोर से
आ जाए अच्छे दिन
मुझे पूछते पूछते। …………………………
नित दिन ही पुस्तकालय में
धूल झाड़ेंगे
खाक छानेगे
तपेंगे दिन रात
कुछ पाने के लिए
ज्ञात या अज्ञात
ऊंघेगे , टहल टहल कर
बैठ बैठ कर कुछ देर
रुक रुककर कुछ देर
कुछ समय चल चलकर
पुस्तकालय मे
हाथ पैर मारेगे
खोजेंगे कुछ बात
कुछ चीजे जरूरी
नई नई दिशाए
निहारेंगे
किताबो , पत्र पत्रिकाओ से
क्या पता
किसी दिन
किसी मोड़ से
किसी रास्ते पर
किसी छोर से
आ जाए अच्छे दिन
मुझे पूछते पूछते। …………………………
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