Friday 4 July 2014

तेरे आने के बाद

तेरे आने के बाद 

ऐ मेरी प्रिये 

मेरी तन्हाईयाँ 

चुपके से आकर 

नितांत वैयक्तिक क्षणो मे

मुझे ही जवाब दे रही है 

मेरी दशा बताकर 


मै  कितने शोरगुल मे

कितने आवाजो को 

कितने तरीके से 

कितने विरोधो के बीच 

अनसुना करता रहा 

करता रहा 

अनसुना मै 

नही आने दिया लोगो के बीच 

सहता रहा 

समझता रहा 

विचरता रहा 

अपने लघुत्व पर 

जब तक मेरा परिवेश 

मुझे लघु समझता रहा 


तेरे आने के बाद 

ऐ मेरी प्रिये 

चुपके से आकर 

मेरी अंतरात्मा 

मुझे ही जवाब दे रही है 


तेरे आने के बाद 

अब मुझे लगता है 

मै बड़ा हो गया हूं 

मेरा वह परिवेश 

समझता था जो मुझे लघु 

नही देता था जाने कही 

दूर अपनी आखो से 

नही होने देता था ओझल 

अपनी निगाहो से 


पर आज 

तेरे अाने के बाद 

ऐ मेरी प्रिये 

मेरा परिवेश मुझे ही 

जवाब दे रहा है 


कि मै वयस्क हो गया हू

कि मै परिवारदार हो गया हू

की मै नादान नही  रह गया 

सज्ञान हो गया हू

समझदार हो गया हू

चिंता होनी चाहिए मुझे अपनी 

की मै किसी का पहरेदार हो गया हूं 


तेरे आने के बाद 

ऐ मेरी प्रिये 

मेरी समझदारी मुझे ही 

जवाब दे रही है। ………………… 






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