एक पति, जो अपनी पत्नी को बहुत प्रेम करता था| गरीब था| दिहाड़ी करके किसी तरह अपना और अपने बच्चों का पेट पालता था| पत्नी सक्षम थी| सुन्दर और समझदार भी थी| सुन्दरता का तो मुझे भी पता है, समझदार थी, ऐसा उसका पति बताता था कभी कभी| आर्थिक तंगी से घर के हालात बहुत ठीक नहीं थे| फिर भी पत्नी की परवरिश में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं छोड़ रखी थी उसने| खुद नहीं खाता था लेकिन उसके लिए जरूर बचा कर रखता था|
पति काम की तलाश में अक्सर बाहर ही रहता था| पत्नी बच्चों के साथ घर में होती थी| अन्य औरतें उसके पड़ोस की जहाँ खेती-बारी तक के कार्य कर आती थीं, वहीं वह बर्तन तक नहीं धोती थी| सारा काम बच्चे करते थे, जो बचता था वह पति दिहाड़ी से लौटने के बाद करता था|
आरी-पडोस के कुछ आदमी अक्सर उसके यहाँ आते रहते थे| पत्नी को उसी में से किसी आदमी से प्रेम होता है जो यथार्थतः उससे छोटा होता है उम्र में| प्रेम के चोंच कुछ अधिक ही गुल खिलाने लगे और एक दिन इधर सुनाई दिया कि वह पेट से है तो उधर खबर लगी कि लड़के की शादी होने वाली है|
पत्नी-व्रता पति को ठोकर मारकर पत्नी प्रेमी के साथ जाने के लिए तैयार हो ली| प्रेमी के घर वाले नहीं राजी थे और प्रेमी भी चाहता था कि कुछ ले-देकर वह उससे पिंड छुड़ा ले| पत्नी नहीं मानती और अंततः एक दिन दोनों में झगड़ा होता है| पंचायत जुटती है लेकिन पत्नी पंचायत में आने की बजाय सड़क पर अपने कोख के बच्चे को लेकर लेटना उचित समझती है|
गाँव वाले उसे सब गरियाते हैं| वह नहीं मानती| प्रेमी लड़के की शादी होती है| वह अपने परिवार के साथ चैन से रहता है| पत्नी अब फिर अपने पुराने पति के साथ है| पति फिर से उसकी सेवा करना शुरू कर दिया है| वह अब भी कुछ नहीं करती है| फैशन इतनी कि भाई पूछो मत| बच्चे भी अब उसी के नक़्शे-कदम पर हैं|
अब यहाँ उन स्त्रियों को क्या कहूं जो हर समय हर समस्या की जड़ पुरुष को बताती हैं| यहाँ दोष पति का है या फिर पत्नी का? यदि पत्नी का है तो ये हमारे यथार्थ समाज की एक बड़ी सच्चाई है और यदि कोई पति पर दोष लगाता है तो उसकी सोच पर सोचने के लिए विवश होना होता है|
#समझदार #देवियों हर जगह #पुरुष को #गाली देने से अच्छा है कुछ अपनी सच्चाई पर भी सोचा करो|
पति काम की तलाश में अक्सर बाहर ही रहता था| पत्नी बच्चों के साथ घर में होती थी| अन्य औरतें उसके पड़ोस की जहाँ खेती-बारी तक के कार्य कर आती थीं, वहीं वह बर्तन तक नहीं धोती थी| सारा काम बच्चे करते थे, जो बचता था वह पति दिहाड़ी से लौटने के बाद करता था|
आरी-पडोस के कुछ आदमी अक्सर उसके यहाँ आते रहते थे| पत्नी को उसी में से किसी आदमी से प्रेम होता है जो यथार्थतः उससे छोटा होता है उम्र में| प्रेम के चोंच कुछ अधिक ही गुल खिलाने लगे और एक दिन इधर सुनाई दिया कि वह पेट से है तो उधर खबर लगी कि लड़के की शादी होने वाली है|
पत्नी-व्रता पति को ठोकर मारकर पत्नी प्रेमी के साथ जाने के लिए तैयार हो ली| प्रेमी के घर वाले नहीं राजी थे और प्रेमी भी चाहता था कि कुछ ले-देकर वह उससे पिंड छुड़ा ले| पत्नी नहीं मानती और अंततः एक दिन दोनों में झगड़ा होता है| पंचायत जुटती है लेकिन पत्नी पंचायत में आने की बजाय सड़क पर अपने कोख के बच्चे को लेकर लेटना उचित समझती है|
गाँव वाले उसे सब गरियाते हैं| वह नहीं मानती| प्रेमी लड़के की शादी होती है| वह अपने परिवार के साथ चैन से रहता है| पत्नी अब फिर अपने पुराने पति के साथ है| पति फिर से उसकी सेवा करना शुरू कर दिया है| वह अब भी कुछ नहीं करती है| फैशन इतनी कि भाई पूछो मत| बच्चे भी अब उसी के नक़्शे-कदम पर हैं|
अब यहाँ उन स्त्रियों को क्या कहूं जो हर समय हर समस्या की जड़ पुरुष को बताती हैं| यहाँ दोष पति का है या फिर पत्नी का? यदि पत्नी का है तो ये हमारे यथार्थ समाज की एक बड़ी सच्चाई है और यदि कोई पति पर दोष लगाता है तो उसकी सोच पर सोचने के लिए विवश होना होता है|
#समझदार #देवियों हर जगह #पुरुष को #गाली देने से अच्छा है कुछ अपनी सच्चाई पर भी सोचा करो|
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