Tuesday 26 November 2019

हिमाचली टोपी का आकर्षण.....

यूं तो हिमाचल प्रदेश मेरे लिए बड़े आकर्षण का केंद्र रहा है लेकिन इधर कुछ अधिक ही प्रिय लगने लगा है| लोग तो फिलहाल पहाड़ के अच्छे हैं ही लेकिन और भी कहूं तो यहाँ के कवि और कविताएँ मुझे बहुत प्रिय हैं| जन और जमीन से जुड़ी सम्वेदनाओं को परखना हो तो इधर आशा भरी निगाहों से देखना पड़ता है|
खैर... आज का विषय मेरे लिए कवि और कविता नहीं हैं| पहाड़ के सौंदर्य और सौदर्यशाली लोग भी नहीं हैं| आज जो मैं कहना चाहता हूँ वह यहाँ की टोपी से जुड़ा हुआ मामला है|
दरअसल पिछले कई वर्षों से जब भी किसी हिमाचली को टोपी पहने हुए देखता हूँ तो उसकी तरफ आकर्षित होते चला जाता हूँ| कई बार तो कल्पना में बहुत सुन्दर टोपी पहन भी चुका हूँ| पहने हुए मैं बहुत अच्छा लगा हूँ कई बार| कई बार यह सोचता रहा हूँ कि कोई आए और एक टोपी गिफ्ट कर जाए|

हिमाचल के कोई भी साथी मिलते हैं तो यह आकांक्षा बलवती हो उठती है कि क्या पता जाते-जाते वह टोपी पहना जाएं....? लेकिन ऐसा होता नहीं| जो आता है वह चला भी जाता है और मैं बस यह सोचते हुए फिर पीछे रह जाता हूँ कि क्या पता कोई फिर आए और हिमाचली टोपी दे जाए| ऐसा क्यों होता है कि आप कुछ सोचते रहते हैं और वह पूरा नहीं हो पाता है?
इधर मेरे साथ कई बार धोखा हुआ| कई बार लोग आए टोपी हाथ में लिए हुए और चले गये लेकिन मेरी इच्छा पूरी न हो सकी| अब मैं उनसे मांग भी नहीं पाया| मांगते-मांगते कई बार रुक भी गया| सोचा कि क्या सोचेंगे लोग कि देखो एक टोपी के लिए मरा जा रहा है?
अब ऐसा भी नहीं है कि हिमाचल वाले जानते नहीं मुझे| सब जानते हैं| मानते भी हैं लेकिन टोपी नहीं पहनाते| पता नहीं क्यों? जबकि यह भी सच है कि मैं हिमाचली संस्कृति से लेकर वहां की टोपी संस्कृति का भी पूरा सम्मान करता हूँ |
हिमाचली टोपी का शौक बढ़ा जा रहा है इधर| इधर एक ख़ुशी भरा खबर है| जालन्धर की कवयित्री डॉ. वीणा विज जी ने टोपी गिफ्ट करने का वायदा किया है| यह मेरे लिए ख़ुशी की बात है| ख़ुशी हकीकत में तब्दील हो इसके लिए जालंधर पहुंचना मेरा आवश्यक है| अब यदि पहुँचने से पहले ही टोपी किसी और को दे दी गयी तो...? यह बड़ा दुर्भाग्य होगा| खैर देखते हैं....भविष्य क्या कहता है....|

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