Monday 20 January 2020

नमन करने से हमारे अन्दर विनम्रता आती है और मनन से चिन्तनशीलता : प्रो. जंग बहादुर पाण्डेय


“सफलता प्राप्त करने के लिए हमें जीवन में दो आदतों को अपने अन्दर विकसित करना होगा-नमन और मनन| नमन करने से हमारे अन्दर विनम्रता आती है और मनन से चिन्तनशीलता| हमारी चिंता तन और धन के लिए नहीं होनी चाहिए| मन को एकाग्रचित रखना होगा इसके लिए हमें मन को वश में करके रखना होगा| मन ही है जो हमें विचलित करता है| अच्छे कार्यों में मन लगाना और उन पर चिंतन करना जरूरी है|” यह कहना था रांची विश्वविद्यलाय के हिन्दी-विभाग के अध्यक्ष प्रो. जंग बहादुर पाण्डेय का जो लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, मानविकी संकाय के हिंदी-विभाग में “सफलता के सूत्र” विषय पर 16 जनवरी को अतिथि-व्याख्यान को सम्बोधित कर रहे थे|

जे.बी. पाण्डेय जी ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए यह भी कहा कि “समस्याओं से घबड़ाना नहीं चाहिए| त्याग भाव से बढ़ते रहने का हौसला बनाए रखना चाहिए| यह समय ज्ञानार्जन का है तो जरूरी है कि उसका उपयोग हम ज्ञान की तलाश में ही करें| हमें मोबाइल तकनीक का कम-से-कम स्तेमाल करना चाहिए क्योंकि यह अधिक समय बेकार का खर्च कर देता है|”
जीवन की व्यावहारिकता में शामिल छोटी-छोटी आदतों का जिक्र करते हुए जे.बी. पाण्डेय ने विद्यार्थियों में जागरूकता लाने का प्रयास किया| रामचरित मानस और वेदों के अनेक श्लोकों के माध्यम से नैतिकता और कर्म के क्षेत्र को विस्तार से समझाया| किस तरह हमें अपने समय का सदुपयोग करना चाहिए अपने उद्बोधन में यह भी उन्होंने बताया|

उन्होंने बताया कि यह समय हर तरह से जिम्मेदारी निभाने का समय है| छोटा-बड़ा कोई नहीं होता| जो आत्मा से जागृत होता है वही बड़ा होता है और वही समाज और परिवेश को सुन्दर बनाता है| निश्चित तौर पर यह व्याख्यान इतना व्यावहारिक था कि विद्यार्थियों से पूरा रूम अंत तक भरा रहा|

इसके पहले कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए विभाग के डॉ. विनोद कुमार ने कहा कि दुनिया में सब कुछ मिल सकता है लेकिन विद्वानों की संगति और उनका निर्देशन बहुत कम मिलता है| यह अवसर है जब जब हमें कुछ सीखने के लिए तत्पर रहना चाहिए|” उन्होंने बताया कि जे.बी. पाण्डेय जी अपने सिद्धांत और व्यवहार में एक-समान रूप से दिखाई देने वाले ही नहीं अपितु सक्रिय रहने वाले व्यक्तित्व हैं|
अतिथि-व्याख्यान में अपना सक्रिय सहयोग देने वाले आर्किटेक्चर विभाग के अध्यक्ष डॉ. नागेन्द्र नारायण कार्यक्रम में उपस्थित रहे| यह कहते हुए उन्होंने विद्यार्थियों को खुश होने का अवसर दिया कुछ महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम विश्व संस्कृत-हिंदी परिषद् द्वारा हमारे विश्वविद्यालय परिसर में भविष्य में भी होता रहेगा| आप सभी जुड़े रहें और निरंतरता उपस्थिति में ही नहीं लेखनी और अभिव्यक्ति में भी बनाए रखें|

विद्यार्थियों में यशराज, श्वेता, चित्रा, इंशा हाशमी, आदि विद्यार्थियों द्वारा रचनात्मक हस्तक्षेप किया गया| सार्थक सम्वाद की परम्परा का निर्वहन करते हुए विद्यार्थियों ने प्रश्न भी पूछे जिसका निराकरण प्रो. जंग बहादुर पाण्डेय जी द्वारा किया गया|
विद्यार्थियों द्वारा स्व-रचित कविताएँ भी प्रस्तुत की गयीं| इनकी कविताओं में शहीदों का जीवन, राष्ट्रप्रेम की अवधारणा और अपने समाज को हर तरह सुन्दर बनाने की प्रतिबद्धता जैसे विषय शामिल थे| सभी उपस्थित प्राध्यापकों एवं अतिथियों द्वारा विद्यार्थियों की कविताओं को सराहा गया और भविष्य में रचनात्मक सक्रियता बनाए रखने की अपील की गयी|
धन्यवाद ज्ञापन हिंदी-विभाग के अध्यक्ष डॉ. अजोय बत्ता जी ने यह कहते हुए किया ‘सफलता के सूत्र’ कार्यक्रम आज के समय में बहुत जरूरी है| हमें विश्वास है कि हमारे विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं| भविष्य में आप विद्वानों का सहयोग बना रहेगा, यह अपेक्षा है| यह भी जरूरी है कि ऐसे विषयों पर अकादमिक चर्चाएँ होती रहें|”

अतिथि-व्याख्यान कार्यक्रम में अग्रेजी विभाग के डॉ. दिग्विजय सिंह, डॉ. संजय प्रसाद पाण्डेय, हिन्दी-विभाग से डॉ. रीता सिंह और डॉ. अनिल कुमार पाण्डेय भी मौजूद रहे|
विदित हो कि विश्व संस्कृत-हिन्दी परिषद् और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के मानविकी संकाय, हिंदी-विभाग के सहयोग से एक अतिथि-व्याखान का आयोजन किया गया|
इस व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में रांची विश्वविद्यालय, हिंदी-विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. जंग बहादुर पाण्डेय उपस्थित थे| यह व्यख्यान संकाय प्रमुख प्रो. पवित्तर प्रकाश सिंह के निर्देशन में आयोजित हुआ|

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