Friday 1 December 2017

जीने के हर तौर तरीके....

हे प्रिये
तुम प्रीति बन कर
रीति अपनी निभा रही
सो चुके 
पर-प्रेम के नित
गीत को गुनगुना रही
हम यहाँ
ठहरे मुसाफिर
गीत के कुछ बोल सुन कर
तू हमारे
सोए दिल को
टेक दे गुदगुदा रही
ये हवाएं
मांगती हैं जब
साथ तेरे नेह का
तू प्रिये
अब आसरा बन
है हृदय को भा रही
कब थी
मुझको जीने की ये
शौक मुझको तू बता
जीने के हर
हर तौर तरीके
तू मुझे सिखला रही ||

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