Thursday 10 January 2019

राजा का फरमान है


1.
राजा मुस्कुराए
निहारना एकटक जरूरी है हमारे लिए
ठठाकर हँसे
उसी अनुपात में मुस्कुराना विवशता है

चिंता करे राजा  
जैसे गिर-पर पड़ना है सामने
सोचे किसी विषय पर
चिंतित दिखाई देना है उससे अधिक  

गुनगुनाए कुछ  
नाचने की क्षमता हममें हो
कुछ न करे, निर्धारित करके रखना है
जैसे सब कुछ ठीक दिखाई दे

हम स्वभाविक रूप से
किसी भी हालत और हालात में हों
खुश रखना उसे
स्वभाव की स्थाई नियति हो

तुम्हें केवल मुस्कुराना है
हंसना है दबी जुबान से
अँधा हो निहारना है
पघुराने की कला हो उसके इशारे पर

2.

नहीं होती कोई चिंता
राजा को
हमारे सुख-दुःख की
हम मरें
तो मरने की इच्छा हो हममें  
घूमता है वह
मौत का नियंता बन
हम खुश हों कि
मरने के लिए जरूरी नहीं
ईश्वर का कृपापात्र होना
क्योंकि राजा सब निर्धारित करता है|

3.

विरोध करना
राजा के आदेशों का
धरती पर न रहने की पहली शर्त है
आसमान पर
पकड़ राजा की है
सूर्य उदित तभी होता है जब चाहता है वह

4.

अघोषित गुलाम रहना
संभव है
इक्कीसवीं सदी के लोकतंत्र में ही
गुलामी का प्रशिक्षण
स्वतंत्रता के नाम पर
दिया नहीं जाता
आजकल बांटा जाता है यहाँ
खुश हो जाओ
कि तुम भी अगली कतार में हो

5.

राजा का फरमान है
भूख की चिंता किये बगैर
अघाए लोगों को खिलाना है खाना
पेट को फुलाए रखना है
दबाये रखना है इच्छाओं को

वेल अप टू डेट हो
दिखना ऐसा है
सामने वाला सबसे सुखी समझे तुम्हें ही
तुम्हारे मुस्कुराने में
राजा के खुश होने के आसार हैं   

6.

राजा नहीं चाहता
नियत समय से पहले सांस लो तुम
उठो कि बैठो, चलो कि सोचो
राजा जैसा चाहे
करना वैसा ही है
हर हाल में
तुम्हारा होना तुम नहीं
राजा की स्वीकृति की बात है|

No comments: